युगदृष्टा स्वामी विवेकानंद की पथगामी मनोहर सरकार
''आज अपने देश को आवश्यकता है , लोहे के समान मांसपेशियों और वज्र के समान स्नायुओं की। हम बहुत दिनों तक रो चुके , अब रोने की आवश्यकता नहीं। अब अपने पैरों पर खड़े हो जाओ और मनुष्य बनो''। आज से ठीक 121 वर्ष पूर्व मद्रास के युवाओं के सम्मुख दिए व्याख्यान में स्वामी विवेकानंद ने यह विश्वास व्यक्त किया था। स्वामी जी ने अपने जीवन , प्रेरणा , विचार , साहित्य तथा कर्तव्य से तरुणाई को परिभाषित व प्रेरित किया। उन्होंने 39 वर्ष 5 माह व 22 दिन की अल्पायु में ऐसा पराक्रम किया कि सारा विश्व स्तब्ध रह गया। यह स्वामी विवेकानन्द के सजीव संदेश का ही प्रभाव है जिसके कारण उनके प्रत्यक्ष या परोक्ष सम्पर्क में आए लोगों का जीवन बदल गया। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कार्यशैली से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे भी स्वामी विवेकानंद के पथगामी है। जो प्रदेश की दुर्दशा पर रोने-पीटने और दूसरे पर दोष देने की बजाय खुद प्रदेश को स्वाबलंबी बना रहे हैं। वे उसूलों के पक्के , निष्ठावान , युवाओं के प्रेरणास्रोत और एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में उभरे हैं।