युगदृष्टा स्वामी विवेकानंद की पथगामी मनोहर सरकार
''आज अपने देश को आवश्यकता है, लोहे के समान मांसपेशियों और वज्र के समान स्नायुओं की। हम बहुत दिनों तक रो चुके, अब रोने की आवश्यकता नहीं। अब अपने पैरों पर खड़े हो जाओ और मनुष्य बनो''।
आज से ठीक 121 वर्ष पूर्व मद्रास के युवाओं के सम्मुख दिए व्याख्यान में स्वामी विवेकानंद ने यह विश्वास व्यक्त किया था। स्वामी जी ने अपने जीवन, प्रेरणा, विचार, साहित्य तथा कर्तव्य से तरुणाई को परिभाषित व प्रेरित किया। उन्होंने 39 वर्ष 5 माह व 22 दिन की अल्पायु में ऐसा पराक्रम किया कि सारा विश्व स्तब्ध रह गया। यह स्वामी विवेकानन्द के सजीव संदेश का ही प्रभाव है जिसके कारण उनके प्रत्यक्ष या परोक्ष सम्पर्क में आए लोगों का जीवन बदल गया। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कार्यशैली से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे भी स्वामी विवेकानंद के पथगामी है। जो प्रदेश की दुर्दशा पर रोने-पीटने और दूसरे पर दोष देने की बजाय खुद प्रदेश को स्वाबलंबी बना रहे हैं। वे उसूलों के पक्के, निष्ठावान, युवाओं के प्रेरणास्रोत और एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में उभरे हैं। सही मायने में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्वामी जी की खूबियों को हूबहू अपनाया है।
26 अक्टूबर, 2014 को सामान्य किसान पृष्ठभूमि से आने वाले मनोहर लाल हरियाणा के 10वें मुख्यमंत्री बने। भारतीय जनता पार्टी में सादा जीवन और बेदाग छवि वाले मनोहर लाल की ख्याति एक ऐसे व्यक्ति की है जो हर काम पूरी लगन और निष्ठा के साथ करते हैं और उतनी ही कुशलता व निपुणता से करवाते भी हैं। इधर-उधर के मुद्दों में उलझे बिना पर्दे के पीछे से पार्टी की मजबूती के लिए लगातार काम करते रहने वाले खट्टर भाजपा में अहम पदों पर रह चुके हैं और अक्सर अपने संगठन कौशल का लोहा भी मनवा चुके हैं। जिसकी बदौलत केंद्रीय नेतत्व ने मनोहर लाल को हरियाणा सरकार की बागडोर दी। सत्ता संभालने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने व्यवस्था परिवर्तन हेतु क्रांतिकारी कदम उठाए। जिसके कारण आम लोगों में सरकार के प्रति विश्वास बहाल हुआ है।
स्वामी विवेकानंद अक्सर कहते थे, ''विश्व में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते है, क्योंकि उनमे समय पर साहस का संचार नही हो पाता। वे भयभीत हो उठते है''। शायद इसी वाक्य को सोचकर मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने प्रदेश में शिक्षकों का तबादला धंधा बंद किया। पहले सरकारी स्कूलों केशिक्षक मुख्यमंत्री कार्यालयों से तबादले कराने के लिए तरह-तरह के जुगाड़, सिफारिश लगाते थे। दलालों के माध्यम से तबादले होते थे। जब किसी अध्यापक को उसकी मनपसंद का विद्यालय मिल जाता था तो उसकी खुशी ज्यादा देर नहीं रहती। क्योंकि उसे इस बात का डर रहता था कि कोई उससे अधिक सिफारिश करके उसका स्थानांतरण न करवा दे। लेकिन अब यह डर भाग गया है। दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुए मुख्यमंत्री ने विरोध होते हुए तबादला प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया। फलस्वरूप पिछले साल सरकार ने 50 हजार से ज्यादा अध्यापकों के ऑनलाइन तबादले किए। अध्यापक अब बिना स्थानांतरण की चिंता के अपने विद्यार्थियों को मन लगाकर पढ़ा रहे हैं। अब उसे पता है कि प्रदेश में कोई भी मनमाने ढंग से उसका स्थानांतरण नहीं करवा सकता। सरकार की पारदर्शी व्यवस्था का यह मजबूत उदाहरण है, जिसमें कोई सिफारिश नहीं मानी। भ्रष्टाचार की कहीं कोई गुंजाइश नहीं रही।
वर्तमान पीढ़ी परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। जीवनशैली, नैतिक मूल्यों एवं आदर्शों में बदलाव आ रहा है। आज की युवा पीढ़ी विकास एवं आर्थिक उन्नयन के बोझ तले इतनी अधिक दब गई है कि वह अपने पारम्परिक आधारभूत उच्च आदर्शों से समझौता तक करने में हिचक नहीं रही है। यही कारण था कि भविष्य ज्ञाता स्वामी विवेकानंद ने अपना पूरा जीवनकाल में युवाओं पर केन्द्रित रखा। स्वामी जी युवाओं को कडी मेहनत करने की नसीहत देते थे। पथगामी मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी युवाओं को लेकर बेहद चिंतित है। इसलिए उन्होंने नौकरियों की भर्ती में पूरी तरह पारदर्शिता बरतने का संकल्प लिया। अभी हाल में मनोहर सरकार ने तृतीय श्रेणी की सरकारी नौकरियों में इंटरव्यू की वेटेज को घटाकर 10 प्रतिशत करने का फैसला किया है। पिछली सरकारों में नौकरियों में हुए घपलों को यदि देखा जाए तो पता चलता है कि साक्षात्कार को अधिक वेटेज देना ही भर्ती संबंधी घपलों का मुख्य कारण रहा है। पूर्व सरकारों के दौरान ऐसे बहुत से मामले सामने आए जिनमें पाया गया कि लिखित परीक्षाओं में कम नम्बर पाने वाले रसूखदारों कोसाक्षात्कार में अधिकतम नम्बर दे दिए गए ताकि उनका चयन हो जाए। दूसरी ओर लिखित परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने वाले ऐसे लोगों को जिनकी पहुंच ऊपर तक नहीं थी या साधन नहीं थे, इंटरव्यू में कम अंक देकर नौकरी से वंचित रखा गया। पिछली कांग्रेस सरकार में तो इस बात की भी तमाम शिकायतें थीं कि कुछ खास जिलों व खास जाति के लोगों को ही सरकारी नौकरियां दी गईं। लेकिन मनोहर सरकार सुशासन और पारदर्शी सरकार के संकल्प को दोहराते हुए 40 हजार से ज्यादा युवाओं को मेरिट के आधार पर नौकरी दे चुकी है। इसके अलावा सरकार ने स्नातकोत्तर बेरोजगार युवाओं के लिए सक्षम युवा योजना शुरू की है। जिसके माध्यम से बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ते के साथ 100 घंटे एवज में 6 हजार रूपये तक मानदेय दिया जा रहा है। सक्षम योजना से प्रदेष के 20745 युवाओं को विभिन्न विभागों में कार्य उपलब्ध करवाया गया है।
दलितों एवं महिलाओं की दयनीय स्थिति पर स्वामी विवेकानंद सदा चिंतित रहे। महिलाओं को सशक्त बनाने की राह सुझाते हुए स्वामी विवेकानंद कहते हैं, ''महिलाओं को बस शिक्षा दे दो। इसके बाद वे खुद बताएंगी उनके लिए किस तरह की सुधार जरूरत है। मामूली दिक्कतों में भी उन्हें अब तक असहाय बने रहने, दूसरों पर निर्भर रहने और आंसू बहाने का ही प्रशिक्षण दिया गया है। उनका मत था कि जिस राष्ट्र में महिलाओं का सम्मान नहीं होता, वह राष्ट्र और समाज कभी महान नहीं बन सकता। शिक्षा के माध्यम से ही स्त्री व दलितों को शक्तिशाली, भयविहीन तथा आत्म-सम्मान के साथ जीने के काबिल बनाया जा सकता है''। इसी मंत्र को आगे बढाते हुए मनोहर सरकार भी दलित और महिलाओं के उत्थान के लिए प्रयासरत है। हाल ही में सरकार ने रूढीवादी बातें को दरकिनार करते हुए प्रदेश की महिलाओं को नेपकिन पेड बांटने की घोषणा की है। भले ही यह काम छोटा हो। लेकिन सरकार को भी रूढ़िवादी सोच, पारिवारिक दबाव, और बहुत सारे समाजिक पूर्वाग्रहों (प्रेज्यूडिस) से संघर्ष करना पडा। मुख्यमंत्री मनोहरलाल की स्पष्ट सोच के कारण बहुत जल्द यह योजना शुरू हो जाएगी। विशेष बात ये भी है कि इन नेपकिन पेड को सरकार महिलाओं के स्वयं-सहायता समूह के माध्यम से बनाएगी। जिससे महिलाओं को स्वास्थ्य के साथ आर्थिक लाभ भी होगा। सरकार के अथक प्रयास का नतीजा है कि आज प्रदेश का लिंगानुपात की दर बढ़कर 950 हुई। प्रदेश में सबसे कम लिंगानुपात वाले झज्जर जिले का लिंगानुपात भी 920 हो गया है। जबकि कांग्रेस सरकार के दौरान प्रदेश का लिंगानुपात दर 850 हो गई थी। अब प्रदेश में बेटी के जन्म पर दुख नहीं, बल्कि मिठाई बांटी जाती है। सरकार की नवीन सोच के कारण ही आज सभी जिला मुख्यालयों पर एक महिला थाना और उपमंडल स्तर पर महिला हेल्प डेस्क स्थापित किए गए है। बेटियों के लिए हर 20 किलोमीटर दूर पर महिला काॅलेज, 131 महिला बस सेवा, स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय और महिला श्रमिकों को रात्रि पाली में कार्य पर लगाने की छूट मनोहर सरकार की प्रगतिवादी सोच को दर्शाता है। स्वामी विवेकानंद की भांति मुख्यमंत्री मनोहरलाल की वंचित समाज के प्रति सहानुभूति किसी से छपी नहीं है। बुजुर्ग मोची शाहाबाद निवासी जसमेर की आर्थिक माली हालतों को देख सरकार बैंकों के साथ ऐसे लोगों के उत्थान के लिए काम कर रही है।
इसीतरह गांवों में पढ़ी-लिखी पंचायत बनवाकर स्वामी विवेकानंद के सपने को साकार किया है। यह सुधार स्वच्छ, शिक्षित और सामाजिक दृष्टिकोण रखने वाले राजनैतिक नेतृत्व के एक नये युग का सूत्रपात है। जिसका व्यापक असर अब दिखाई देने लगा है। अब पंचायत विकास कार्यो के साथ सामाजिक सुधार की परिचायक बन रही है। पहले पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि निरक्षर और कानून को न जानने होते थे। उन्हें पता नहीं होता था कि वे किस दस्तावेज पर साइन कर रहे है। जिसके कारण अक्सर गलत काम होते थे। सरकार ने इस व्यवस्था को बदल कर पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव लड़ने के लिए अनिवार्य न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता निर्धारित कर दी। आज प्रदेश के गांव में अनपढ़ व्यक्ति पंचायत का संचालन नहीं करता। बल्कि बीए, बीएड, एमए पास नौजवान पंचायत की अगुवाई करता है। प्रदेश सरकार के विकास कार्यो को देखकर यह कहना सही होगा कि प्रदेश सरकार के पास गरीबी, शिक्षा युवा और महिला सशक्तिकरण जैसी तमाम समस्याओं पर एक साफ दृष्टि है। जबकि मुख्यमंत्री मनोहरलाल की वचनबद्धता पर स्वामी विवेकानंद की छाप है। मनोहर सरकार युगदृष्टा विवेकानंद के मंत्र ''सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय'' को लेकर विकास की तरफ अग्रसर है।
मुकेश वशिष्ठ
ये लेखक के अपने विचार है।
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