चाहता हूँ प्‍यार से

चाहता हूँ प्‍यार से पाँव वो पखार दूँ
कौन दिलासा देगा नन्‍हीं बेटी नन्‍हें बेटे को,
भोले बालक देख रहे हैं मौन चिता पर लेटे को क्‍या देखें और क्‍या न देखें बालक खोए खोए से, उठते नहीं जगाने से ये पापा सोए सोए से चला गया बगिया का माली नन्‍हें पौधे छोड़कर... ...चाहता हूँ आज उनको प्‍यार का उपहार दूँ, जी उठो तुम और मैं आरती उतार लूँ कर गयी पैदा तुझे उस कोख का एहसान है, सैनिकों के रक्‍त से आबाद हिन्‍दुस्‍तान है धन्‍य है मइया तुम्‍हारी भेंट में बलिदान में, झुक गया है देश उसके दूध के सम्‍मान में दे दि

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