भ्रष्टाचार के स्तंभ को उखाड़ने के लिए एकजूट हो
देश को अस्थिर करने का षड़यंत्र शुरू हो गया है। यह एक गंदी राजनीति का हिस्सा भी कहा जा सकता है। जिसे देखकर राजनीतिक नेताओं से घृणा होनी शुरू हो गई है। कांग्रेस, बीजेपी और इन दोनों में जबरदस्ती घुस रहेे अरविंद्र केजरीवाल है। जिन्हें हर हाल में जैसे-तैसे सत्ता पानी है। सीध्ो-साधे अन्ना हजारे का प्रयोग कर वे जनलोकपाल के लोक-लुभावने वायदों को भूल गए है। अब सिर्फ मिडिया के माध्यम से तीर चलाने है। जहां लगेंगे वहां कोई न कोई तो घायल होगा। देश की आम जनता को भ्रमित कर लोकतंत्र को खतरे में ड़ालना है।
मैं अरविंद्र केजरीवाल का विरोधी नहीं हुॅँ, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हर आंदोलन का समर्थन हुॅँ। क्योंकि आएं दिन मैं लोगों को प्रदर्शन, अपनी परेशानियों से जूझते देखता है। देखता हुॅँ कि किसप्रकार से आम आदमी बिना भ्रष्टाचार करें अपना काम नहीं करवा सकता। लेकिन केजरीवाल के कार्यक्रमों से बेहद खफा हुॅँ। क्योंकि वे कांग्रेस जैसी भ्रष्ट व्यवस्था को उखाड़ने की बजाए उसके खिलाफ खड़े लोगों को कमजोर कर रहे है। अपनी सत्ता भूख को मिटाने के लिए वह लोगों को भ्रमित कर रहे है। मित्रवर, चाहे गांधी जी और भगत सिंह के विचारों में अंतर था। लेकिन उन्होंने कभी खुले मंच से एक-दूसरे पर कीचड़ नहीं फैंकी। दोनों अपने-अपने तरीके से देश की आजादी में जूटे रहे और संघर्ष करते रहे। लेकिन केजरीवाल जी, भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हो रहे देशवासियों को भ्रमित कर रहे है। वे कह रहे है कि सभी पार्टियां भ्रष्ट है। मान्यवर, भ्रष्ट तो हर व्यक्ति हो सकता है। लेकिन क्या वह भ्रष्टाचार राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में घातक है। इसपर तो आपको विचार करना चाहिए। ऐसा कर करके वे कांग्रेस पार्टी की अप्रत्यक्ष रूप से मदद ही रह रहे है। जो पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूब चुकी है।
बड़ी मछली को मारना जरूरी
कहावत है कि यदि यदि सागर पर राज करना है तो पहले बड़ी मछली को मार दो, तब छोटी मछली आपके हक में आ जाएंगी। अरे, भई बीजेपी रूपी थोड़े भ्रष्टाचारियों को बाद में भी सुधारा जा सकता है। पहले भ्रष्टाचार रूपी सागर यानि कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बेदखल कर दो। तब सोचना कि अब कौन सत्ता पर काबिज होगा। यदि बीजेपी से केजरीवाल यूं ही लड़ते रहे तो उनका सत्ता पाने का सपना तो दूर, वे खुद खत्म हो जाएंगे। हाँ, ये हो सकता है कि केजरीवाल की बातों में आकर कुछ सीटों पर लोग मन बदल दें तो सोचने लगे कि भाई, कुछ भी था अंग्रेजों का राज अच्छा था। पता नहीं आजादी के बाद कुछ अच्छा होगा या नहीं। मित्रवर, पहले देशवासियों के सामने एक विकल्प तो बनो, तभी बदलने की कोशिश करो। सबको गाली मत दो, उसको दो जिसको सब दे रहे है। ताकि वह गलत आदमी पहले खत्म हो। थोड़े से खराब को तो बाद में भी ठीक कर लेंगे।
याद करों जयप्रकाश नारायण
1973-75 में जब देश के युवा-छात्रों ने भ्रष्टाचार व्यवस्था और इंद्रिरा गांधी के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका गया। तो जयप्रकाश नारायण ने एक मात्र लक्ष्य बनाया और कहा कि भ्रष्टाचार में आकंठ में डूबी कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ दो। तब चाहे संघी हो, या वामपंथी हो, या समाजवादी और कुछ कांग्रेसी सभी ने मिलकर एक लक्ष्य बनाया और दिग्विजय और तानाशाही केंद्र सरकार को सत्ता से उखाड़ दिया। केजरीवाल सभी पार्टियों को गाली देकर आंदोलन कमजोर कर रहे है।
जय-जय भारत
मुझे छात्र जीवन में गाया एक गीत याद आता है जिसमें कहा गया कि अगर तमन्ना बढ़ने की मत उलझो छोटी बातों में, अपनी धून में बढ़ते जाओ, तूफानी काली रातों में। अब लक्ष्य बनाओ, शक्ति जगाओ, नया सवेरा लगाओ। अब लक्ष्य बनाओ। इस गीत के बोल मुझ्ो और एक सामाजिक कार्यकत्ताã को प्रेरित करते है। इसलिए अब हर पार्टी, युवा, छात्र, महिला, पुरूष और सामाजिक कार्यकत्ताã को इस भ्रष्टाचार के स्तंभ को उखाड़ने के लिए एकजूट होकर जोर लगाना चाहिए। तभी भारत पुन: इस गुलामी की मानसिकता से बाहर निकल सकता है।
वंदे मातरम, भारत माता की जय
याद करों जयप्रकाश नारायण
1973-75 में जब देश के युवा-छात्रों ने भ्रष्टाचार व्यवस्था और इंद्रिरा गांधी के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका गया। तो जयप्रकाश नारायण ने एक मात्र लक्ष्य बनाया और कहा कि भ्रष्टाचार में आकंठ में डूबी कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ दो। तब चाहे संघी हो, या वामपंथी हो, या समाजवादी और कुछ कांग्रेसी सभी ने मिलकर एक लक्ष्य बनाया और दिग्विजय और तानाशाही केंद्र सरकार को सत्ता से उखाड़ दिया। केजरीवाल सभी पार्टियों को गाली देकर आंदोलन कमजोर कर रहे है।
जय-जय भारत
मुझे छात्र जीवन में गाया एक गीत याद आता है जिसमें कहा गया कि अगर तमन्ना बढ़ने की मत उलझो छोटी बातों में, अपनी धून में बढ़ते जाओ, तूफानी काली रातों में। अब लक्ष्य बनाओ, शक्ति जगाओ, नया सवेरा लगाओ। अब लक्ष्य बनाओ। इस गीत के बोल मुझ्ो और एक सामाजिक कार्यकत्ताã को प्रेरित करते है। इसलिए अब हर पार्टी, युवा, छात्र, महिला, पुरूष और सामाजिक कार्यकत्ताã को इस भ्रष्टाचार के स्तंभ को उखाड़ने के लिए एकजूट होकर जोर लगाना चाहिए। तभी भारत पुन: इस गुलामी की मानसिकता से बाहर निकल सकता है।
वंदे मातरम, भारत माता की जय
thanks
ReplyDeleteye india h sir jaha per dushre k kandhe per banduk rakh kar war karte h ,,,,, aj kejriwal ko hi le lo aaye to anna ki sport karne k liye,,,, lok pal bill ki badi badi bate karne ,,,, wo sub to bhul gaye or aa gaye rajniti m,,, rahi sit ki baat to sit to milni paki h,,,,, i think kahi na kahi media ki bhumika bhi aham h mukesh ji bhrashtachar ko bhadane m ,,,,, kyu ki jada tar news paid hoti h or her channel ya news paper ki ek police hoti h ki vo kis sharkar ko sport karega,,,,
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