लोकसभा चुनाव 2019: इन 10 वजहों से हरियाणा की सभी सीटों पर जीतेगी BJP

चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान कर चुका है। ऐसे में सभी पार्टियों ने चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी शुरू कर दी है। पिछले लोकसभा चुनाव—2014 में हरियाणा की 10 लोकसभा सीट में से 7 सीटें बीजेपी, दो इनेलो और एक सीट पर कांग्रेस पार्टी की झोली में गई। विधानसभा चुनाव में प्रदेश में पहली बार भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला और भाजपा पार्टी की सरकार बनी। इसलिए तय है कि लोकसभा चुनाव 2019 पर प्रदेश सरकार के कार्यों का असर भी पडेगा। पांच नगर निगम और जींद उपचुनाव जीतकर पार्टी उत्साहित है। मोदी व मनोहर सरकार के विकास कार्यों के बल पर पार्टी सभी 10 सीटों पर जीत का दावा कर रही है। आईये, इन वजहों को जानते है:—

1. ईमानदार मुख्यमंत्री ने किया कायल
लोकसभा चुनाव 2019 में इसबार मोदी—मनोहर की जोडी लोगों को खूब भा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लोग मुख्यमंत्री मनोहरलाल की ईमानदारी कार्यशैली से खासे प्रभावित है।  क्योंकि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे। जेबीटी टीचर घोटाले में जहां पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला तिहाड जेल में सजा काट रहे है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा पर जमीन घोटालों के दाग है। उनपर लगातार सीबीआई का शिंकजा कसता जा रहा है। जबकि, मुख्यमंत्री मनोहरलाल की ईमानदारी कार्यशैली व छवि ने लोगों को प्रभावित किया है। इसीतरह सरकार की बिना भेदभाव विकास कार्यों को तहरीज देने की नीति भी भाजपा प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित कराने में सहायक बनेगी। क्षेत्रवाद को नकार कर भाजपा सरकार ने प्रदेश के हर कोने में विकास कार्यों को बल दिया है। भाजपा सरकार ने न हलकों में कोई भेद किया और न विकास के नाम पर।  

2. रोजगार/नौकरी में भेदभाव खत्म
सत्ता में आने से पूर्व सभी पार्टियां युवाओं को रोजगार मुहैया कराने का वायदा करती है। 2014 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव में अन्य पार्टियों की भांति भाजपा ने भी युवाओं को मेरिट और पारदर्शी तरीके से नौकरी देने का वायदा किया था। करीब साढे चार साल बाद आंकलन करने के बाद ध्यान में आता है कि भाजपा सरकार ने जहां कांग्रेस—इनेलो सरकार से तीन से चार गुणा ज्यादा सरकारी नौकरियां देने में सफल रही। वहीं, मेरिट व पारदर्शिता के बलबूत योग्यता को प्राथमिकता दी। इसके अलावा 14 हजार गेस्ट टीचर्स, ऐडिड स्कूल में लगे 1800 टीचर्स को भी सरकारी तंत्र में समायोचित किया है। इसीतरह करीब 50 हजार युवाओं को सक्षम युवा नीति और करीब ढाई लाख युवाओं को प्राईवेट कंपनियों को नौकरी सुनिश्चित की है। 

3. किसान कल्याण पर जोर
हर चुनाव में किसान की आय बडा व अहम मुददा होता है। लोकसभा चुनाव 2019 में किसान मुद्दा रहेगा। लेकिन, हरियाणा के लिहाज से भाजपा के खाते में किसान कल्याण को लेकर कई उपलब्धियां है। जहां सरकार बीतें चार साल में बेमौसम बारिश आपदा के दौरान किसानों के साथ खडी दिखाई दी। पहली बार किसी सरकार ने फसल खराब होने पर किसानों को 30 हजार करोड रूपये मुआवजा बांटा। इसी सकारात्मक सोच के कारण हरियाणा के किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में रूचि दिखाई। पिछले तीन सालों में 26.7 लाख किसानों को इस योजना से 1140.98 करोड़ रुपये की राशि मिली। भांवातर भरपाई योजना, प्रदेश की 1400 में से 1330 नहरों की टेल तक सूखे पड़े खेतों को सींचना भाजपा सरकार की उपलब्धि है, उसका उत्साह किसानों के चेहरों पर साफ दिखाई दे रहा है।  

4. महिला सुरक्षा पर रहा फोकस
बीतें चार साल में भाजपा सरकार ने महिला सुरक्षा को लेकर उल्लेखनीय कदम उठाएं। हर जिला व उपमंडल स्तर पर 30 महिला महिला थाना, बलात्कार जैसा घिनौना अपराध पर फांसी की सजा और दुर्गा शक्ति जैसे अभियान की सफलता ने भाजपा सरकार को खूब वाहवाही दी है। इसलिए लोकसभा चुनाव 2019 में महिला वोटरों की रूझान भाजपा की तरफ है। 


5. पॉलिसी बनाकर खत्म किया गोरखधंधा
लोकसभा चुनाव 2019 में जीत की बडी वजह खुद शिक्षक वर्ग से जुडी है। क्योंकि मनोहर सरकार ने प्रदेश के सवा लाख शिक्षकों को ट्रांसफर प्रक्रिया से मुक्त कर दिया है। अब प्रदेश में किसी शिक्षक का ट्रांसफर राजनेता की मर्जी से नहीं, बल्कि खुद शिक्षक की मनमर्जी से होता है। जबकि पूर्व सरकारों में शिक्षकों को ट्रांसफर नोट पाने के लिए सिफारिश या दलाल तलाशने पडते थे। ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी से शिक्षक वर्ग खुश है।  

6. सैनिकों को दिया सम्मान 
हरियाणा सैनिकों की धरती है। भारतीय सेना का हर दसवां नौजवान प्रदेश से है। पुलवामा और उरी हमले के बाद शहीद परिवारों की चिंता सर्वोपरि है। जिसे लेकर भाजपा सरकार ने पॉलिसी सराहनीय है। उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार ने अक्टूबर 2014 से अब तक शहीद सैनिकों के 255 आश्रितों को अनुकम्पा के आधार पर सरकारी नौकरी दी है। जबकि इनेलो सरकार के छह साल के शासन के समय 66 और कांग्रेस सरकार के समय दस साल में सिर्फ 6 शहीद सैनिकों के आश्रितों और 17 पुलिस कर्मियों के आश्रितों को सरकारी नौकरी दी गई। 

7. पढे—लिखे युवाओं को दिया मौका  
हरियाणा का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण है। जिसके अंतर्गत 56 विधानसभा और 6841 गांव आते है। इसलिए हर चुनाव में गांव के विकास बडा मुददा होती है। 2014 से पूर्व गांव के विकास की बागडोर अनपढ लोगों के हाथों में थी। जिसके कारण न गांव में विकास की योजना बन पाती थी और न ही सही तरीके से योजनाएं क्रियान्वित हो पाती थी। इसलिए भाजपा सरकार ने प्रदेश में पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू की। जिसके फलस्वरूप पढे—लिखे युवाओं को छोटी सरकार चलाने का मौका मिला। पंचायत सरपंचों में 23 प्रतिशत स्नातक, 17 प्रतिशत 12वीं और 50 प्रतिशत 10वीं पास है। भारतीय जनता पार्टी की नई सोच के कारण भी लोकसभा चुनाव 2019 में बडी जीत मिल सकती है। 

8. बिचौलिया तंत्र हुआ खत्म   
पूर्व सरकारों में राशन डिपो का भ्रष्टाचार किसी से छुपा नहीं है। राजनेताओं व अधिकारियों की मिलीभगत से आम आदमी के हक पर मार लिया जाता था। भाजपा सरकार ने गरीब और सरकार के बीच मौजूद बिचौलिए के भ्रष्ट तंत्र को लगभग खत्म कर दिया है। अंत्योदय की प्रेरणा से सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) मॉडल अपनाया। फलस्वरूप आज प्रदेश के 29 लाख परिवारों के करीब एक करोड 8 लाख उपभोक्ताओं को कंप्यूराइज तरीके से राशन बांटा जाता है। 

9. बिजली हुई सस्ती
हरियाणा में आज करीब 41 लाख बिजली उपभोक्ताओं को 2 रूपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली दी जा रही है। जो आस-पास के प्रदेशों के मुकाबले काफी कम है। कोयला और पानी जैसे संसाधनों से महरूम होने के बावजूद प्रदेश के तीन हजार गांव में 24 घंटे बिजली आती है। लोकसभा चुनाव 2019 में बिजली एक बड़ा मुद्दा बन सकती है। 

10. धुंए से मिली मुक्ति
उज्जवला योजना के तहत हरियाणा सरकार ने 7 लाख 98 हजार 262 महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देकर चुल्हे के धुंए से मुक्ति दी है। प्रदेश देश का पहला कैरोसिन मुक्त बना है।

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